जनजागृती पक्ष दैनिक समाचार-पत्र के स्थाई स्तम्भ में प्रकाशित व्यंग्य लेख
Thursday, 16 April 2009
चुनावी मौसम
----------------------------------------------------------------------------_लोकसभा चुनाव पर विशेष कालम ‘चुनावी मौसम_’__जन जागृति पक्ष में प्रकाशित दि. 15-04-09 ____________________________________
लंगर का स्वाद
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नामांकन की तारीख घोषित होते ही गडाबडाने लगता है।कभी भरी सर्दी में भी गर्मी का अहसास होने लगता है तो कहीं गर्मी में भी माहोल में ठंडक बनी रहती है।यहाँ तो स्थिति ये है कि सूर्य देव की कृपा से जहाँ सभी को वैसे ही गर्मी का अहसास हो रहा है ,वहीं चुनावी भाषणों और रैलियों से गर्मी बढ़्ती जा रही है। लेकिन ऐसी गर्मी में भी कुर्सी की चाहत भी ऐसीबला है कि लोगों को तपती दोपहरी भी ए.सी. की ठंडक दे रही है।बैसाखी और अम्बेडकर जैयन्ती हर साल कब आती है और कब चली जाती है इसका अहसास कुछ लोगों को तो शायद पहली बार ही हुआ होगा। चलो अच्छा है चुनाव के बहाने ही सही यह तो मालूम ही हो गया कि बैसाखी और अम्बेडकर जैयन्ति भी हमारे देश में मनाई जाती है। तभी तो महाराजा साहब हों या इंजीनियर साहब सभी पहुँच गये लावा-लश्कर के साथ गुरुद्वारे में मथ्था टेकने।इस बहाने दरबार में हाजरी भी हो गई और साथ ही लंगर का स्वाद भी चख लिया......।अब यह भी एक संयोग ही था कि दोनों बडे दलों के उम्मीदवार एक ही साथ गुरुग्रंथ साहिब के दरबार में हाजरी लगाने पहुँचे थे जिससे इन्हें भी एक दूसरे को हाय हेलो कहने का मौका तो मिल गया\ दोनों ने एक दूसरे से अपने लिऐ वोट माँगी या नहीं मैं नहीं कह सकता लेकिन इतना तय है कि दोनों ही मन ही मन यह जरूर सोच रहे होंगे कि ये कहाँ से आ टपके इस समय.....? अब इन लोगों से कोई पूछे ले कि अब से पहले भल कौन-कौन कितनी बार गया यहाँ पर मथ्था टेकने.....और लंगर चखनेतो सभी शायद बगलें झाकने लगें.....?वैसे भी इन्हें लंगर वंगर से भला क्या लेना देना....? इस बहाने मुफ्त में भीड मिल गई और अपना भी प्रचार हो गया बस......... और भला किसी को क्या चाहिऐ इस चुनावी मौसम में किसी भी उम्मीदवार को........?
डॉ.योगेन्द्र मणि
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