जनजागृती पक्ष दैनिक समाचार-पत्र के स्थाई स्तम्भ में प्रकाशित व्यंग्य लेख

Wednesday 8 April 2009

राम से बडा राम का नाम

राम से बडा़ राम का नाम भैय्या जी ने जैसे ही हमारे घर में प्रवेश किया बडे जोर से बोले -जय श्रीराम.........! जय श्रीराम का उद्‍घोष सुनकर हम चकराये,आज भैय्या जी को आज अचानक भला क्या हो गया जो इतनी जोर से जय श्रीराम कहना पड़ रहा है । हमने पूछ ही लिया- भैय्या जी आज तो बडे दिनों क्या बरसों बाद आपके मुँह से राम जी का नाम सुना है आखिर क्या बात है जो आज राम जी की याद आ गई । भैय्या जी ठहरे सीधे सच्चे जीव बोले तुम्हें मालूम नहीं चुनाव आ रहे हैं ।अब राम ही तो एक मात्र सहारा हैं। हमने तो घोषणा कर दी है कि राम मन्दिर जरूर बनाऐगें।हम बोले- भैय्या जी पिछली बार भी तो आपको मौका मिला था राम मन्दिर बनाने का,भला तब क्यों नहीं बनवाया राम मन्दिर......?वे बोले -आप भी क्या बात करते हैं जरा सोचो यदि तभी बनवा देते तो आज भला हम तुम्हारे सामने क्या कहते.....?वैसे भी जब हमारे सामने राम जी के मन्दिर से ज्यादा जरूरी कुछ और भी काम थे उन्हें भी तो करना था। तब हमने भी सोचा कि कुछ मुद्दा तो ऐसा होना ही चाहिऐ अपनी जेब में जिसे जब चाहो उपयोग कर लो। अब राम जी के नाम से अच्छा भला क्या हो सकता है...? हमने कहा - यह तो सरासर ना इंसाफी है जनता के साथ। तुम्हारी बातों से तो लगता है कि तुम्हें केवल मुद्दा चाहिऐ ,राम जी नहीं। इसपर वे तपाक से बोले- राम जी का भला किसी को करना भी क्या है । ओरों को भी कुर्सी चाहिऐ और हमें भी अब कुर्सी चाहिऐ। अब कुर्सी राम जी दिलाऐ या फिर हनुमान जी भला क्या फर्क पडता है।उनकी इस दलील से हम सहमत नहीं थे । भला यह भी कोई बात हुई, जब चाहा राम नाम का जाप शुरू कर दिया और जब चाहा राम जी के नाम को फाइल में बन्द कर अंधेरे कूऐ में लटका दिया...? हमने कहा- भैय्या जी पिछली बार चुनाव में आपके राम जी विदेश यात्रा पर चले गये थे क्या ?उस समय तो किसी को याद ही नहीं आये हमारे आराध्य देव। और अबकी बार फिर एक बार याद आ गई ,लगता है देश की सारी समस्या राम मन्दिर से ही हल हो जाऐगी।भैय्या जी ने मायूस होते हुऐ कहा - पिछली बार राम जी को भूल गये थे तभी तो राम जी ने दंड दिया और कर दिया सत्ता से बाहर ।हम तो वैसे ही बदनाम हैं हिन्दूवादि और कट्टरवादी के नाम से....। तो फिर क्यों न अब खुल कर ही नाम लें राम जी का । हमने कहा- फिर तो इस बार मन्दिर बन ही जाऐगा यदि आपकी सरकार बनी तो...? वे धीरे से बोले -आप लोगों की बस यही आदत तो खराब है ...। बस एक ही बात को खींचते चले जाते हैं। तुम्हें मालूम नहीं भक्तों का क्या कहना है राम से भी बडा राम का नाम होता है।इसलिऐ मन्दिर के पीछे भला आप क्यों पडे हो ? वह तो जब बनेगा बन जाऐग हमारा तो बस यही इरादा है कि इस बहाने कम से कम सभी श्री राम का नाम तो ले लेगें और जनता का क्या है जब तक चुनाव की ढ़्पली बजती रहेगी तब तक उसे भी याद रहता है , बाद भला किसको याद रहेगा कि किसने क्या कहा था........? लेकिन अब इन नेताओं को भला कौन समझाऐ कि आज जनता जागरुक हो गई है यह किसी की बपोती नहीं जो जब चाहा जैसा चाहा नचा लिया । उलटे सीधे कुछ भी वादे किऐ और ताकत की गोली की तरह से निगल गये। चलो अब पांच साल के लेऐ तो संजीवनी बूटी मिल गई अगली बार फिर कोई नया फण्डा सोचेगें । लोकतन्त्र को अपनी बांदी समझने वालों को अब जनता मौका मिलने पर सबक भी सिखा सकती है । यह बात आज सभी को समझनी ही होगी। ताकि कोई भी राजनैतिक दल क्यों न हो जनता की उपेक्षा कर उसे बेवकूफ नहीं बना सके। (दैनिक जन जागृति पक्ष में दि० 08/04/09 को प्रकाशित ) डॉ.योगेन्द्र मणि