जनजागृती पक्ष दैनिक समाचार-पत्र के स्थाई स्तम्भ में प्रकाशित व्यंग्य लेख

Tuesday, 21 April 2009

रंगत चुनाव की

(दैनिक जन जागृति पक्ष के मेरे कॉलम से,दि.21/04/09) कब तक रूंठे रहोगे......? _______________________________________________________________ गुर्जरों के आरक्षण के नाम पर तात्कालिक सरकारी पक्ष के विधायक होते हुऐ भी अपनी ही सरकार से पंगा लेने के अपराध में हाडोती का यह पूर्व नेता अभी तक भी वनवास ही भुगत रहा है ।सोचा था कि अब तो हम पक्के राष्ट्रीय नेता हो गये है । आन्दोलन के कारण अच्छा नाम भी हो गया है लेकिन गत विधान सभा चुनाव में निर्दलीय लडकर शायद उन्हें आभास होने लगा था कि किसी न किसी पार्टी का साथ या हाथ बहुत जरूरी है अब चाहे वहकिसी का भी हाथ हो।लेकिन भला यह क्या हाथ वालों ने हाथ ही नहीं थामा..........?ऐसे में महरानी जी ने समझदारी दिखाते हुऐ इनका दरवाजा खटखटाया है और कमल के साथ वापस घर बुलाया है।हाडोती के वरिष्ठ जनों के साथ उनके दरवाजे पर जाकर मनुहार की है कि आखिर कब तक रूंठे रहोगे.........? घर का मामला है घर -घर में बर्तन बजते हैं लौट भी आओ........?अब भूलो कल की बातें कल की बात पुरानी....। अब जिससे झगडा शुरु हुआ था जब वही दरवाजे पर आ गया तो भला कैसी नाराजगी.......?इसी को तो कहते हैं राजनीति......जहाँ राज के लिऐ सभी नीतियों को ताक पर रख दिया जाता है ......क्योंकि अपना तो ध्येय ही मात्र कुर्सी पकड नीति रह गया है । समाज और जनता का क्या इसकी तो याद्‍दाश्त ही कमजोर होती है। थोडे दिनों बद ही सब भूल जाऐगी......? _______________________________________________________________ पुत्र मोह में........! _______________________________________________________________________________________________________________ हाडोती की झालावड़-बॉरा संसदीय सीट पर इस बार कुछ ज्यादा ही निगाहें लोगॊं की लगी हैं । बीस वर्षों से इस सीट पर अपना प्रभुत्व जमाऐ रखने के बावजूद महारानी जी की नींद हराम हो गई है ।और वह भी एक अनजान महिला के नाम से......?भले ही उम्मीदवार नया है लेकिन माता श्री का पुत्र मोह है कि जरा सा भी रिस्क लेने के मूड में वे नहीं है। भला लें भी क्यों .......?सामने खडी महिला उम्मीदवार राजस्थान सरकार मे मंन्त्री जी की धर्म पत्नी जो हैं कहते हैं कि बॉरा जिले की चारों विधान सभा सीटें अपनी जेब में जो रख रखी हैं......।तभी तो अपने पुत्र को एक बार फिर सांसद की कुर्सी तक पहुँचाने के लिऐ दृढ़ संकल्प मातृ प्रेम ,बार -बार घूम फिर कर झालावाड-बॉरा पहुँच ही जाता है। कभी किसी रूंठे को मनाया जा रहा है तो कभी विरोधियों को अपने साथ जोडा जा रहा है.....। क्योंकि यहाँ से सांसद भले ही उनका पुत्र हो लेकिन जनता वोट तो उन्हें ही देती है। इसलिऐ इस सीट सॆ हार भी उनकी तो जीत भी उन्हीं की ही होगी.......।

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