जनजागृती पक्ष दैनिक समाचार-पत्र के स्थाई स्तम्भ में प्रकाशित व्यंग्य लेख

Friday, 8 May 2009

रंगत चुनाव की

(दैनिक जन जागृति पक्ष में मेरे कालम से दि.04/05/06) आई.पी.एल.पर आई.पी एल भारी ______________________________________________________________________ चुनावी सरगर्मियों का जायजा लेनेके लिऐ हमने भैय्या जी से पूछा-क्यों भैय्या जी कैसा चल रहा है चुनाव प्रचार....?हमारा यह पूछना था कि मायूस होकर बोले-क्या खाक चुनाव प्रचार....दिन में तो चिलचिलाती धूप पीछा नहीं छोडती और शाम के बाद सोचते हैं कि थोडा ठंडक में कुछ प्रचार किया जाऐ तो ससुरा ये टी.वी. लोगों का पीछा नहीं छोडता है...। _हम सोच में पड गये कि टी.वी. और चुनाव प्रचार का भला क्या लेना देना।हमने कहा--टी.वी. पर चानाव के लिऐ कोई विशेष धारावाहिक आ रहा है क्या.....? --अजी धारावाहिक को मारो गोली....आजकल तो सभी सीरियल की भी ऐसी -तैसी हो रही है इस क्रिकेट के भूत के कारण....? --क्रिकेट का भूत और टी वी पर क्या कह रहे हो भैय्या जी....? --आप भी भला क्यों समझकर भी अनजान बन रहे हैं। आपको मालूम है कि आजकल डबल-डबल आई.पी. एल.मैच चल रहे हैं.....। --आप क्या कहना चाह रहे हैं मुझे तो भैय्या जी कुछ समझ में नहीं आ रहा है ....? --आपको मालूम है कि एक आई.पी. एल, मैच क्रिकेट का चल रहा है अफ्रीका में जो कि पहले भारत में ही होने वाला था लेकिन यहाँ पर नेता जी को दूसरा आई. पी. एल. मैच जो करवाना था इसलिऐ क्रिकेट मैच जा पहुँचा अफ्रीका और नेता जी का आई.पी एल यानी-इण्डियन प्राइमिनिस्टर लीग मैच हो रहा है भारत में ......। देश के लोकतन्त्र के लिऐ ये मैच भी जरुरी हैं लेकिन हमारे देश की जनता है कि नेताओं को लिफ्ट ही नहीं दे रही है ।तभी तो यहाँ होने वाले राजनीतिक मैच फ्लाप हो रहे हैं लोग घरों से ही नहीं निकल रहे हैं। -- भैय्या जी आप ये क्या कह रहे हैं भला....क्या लोगों के लिऐ आजकल चुनाव से भी ज्यादा जरूरी क्रिकेट का मैच हो गया है.......। --आप किसी से भी पूछ लो कि आज कौन-कौन सी टीम का मैच होगा तो बच्चा-बच्चा भी बता देगा,लेकिन चुनाव के बारे में पूछो कि आपके यहाँ से कौन-कौन चुनाव लड रहा है तो दो नाम बताकर ही टांय-टांय फिस्स हो जाऐगा....! वास्तव में देखा जाऐ तो भैय्या जी की बात भी सही है ।शाम हुई नहीं कि सभी चिपक जाते हैं अपने-अपने घरों में टी.वी. के सामने...।अपने शहर में कितने उम्मीदवार चुनाव लड रहे हैं शायद ही किसी को मालूम हो। किसी से वोट की बात भी करो तो सीधा जबाब देता है कि हमें क्या.... कोई भी जीते और कोई भी हारे हमारी बला से......?अब देश के ऐसे पढ़े लिखे नासमझों को भला कॊई कैसे समझाऐ कि इन चुना्वों से आपको ही तो सबसे ज्यादा लेना देना है...आपको ही तो ध्यान रखना है कि हमारे देश का नेतृत्व अच्छे लोगों के हाथों में रहे ताकि हम विश्व में सम्मान से सिर उठा कर जी सकें और हमारा देश निरन्तर आगे बढ़ता जाऐ......।

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